हिंदी कहानी मजेदार
यहाँ एक कहानी है जो बताती है उन चुनौतियों के बारे में जब आप किसी काम को खुद से करने की चेष्ठा करते हैं।
स्कूल के पीछे नदी में,,,,,, प्रिंसिपल जी डूब रहे थे। एक छात्र ने जब ये देखा तो चिल्लाते हुए स्कूल की तरफ भागा .
तुम भूमि के इस छोटे से टुकड़े के लिए अपने अनमोल जीवन को व्यर्थ करने पर तुले हुए हो? यह भूमि न तुम्हारी हैं न तुम्हारी बनेगी.
इसलिए आपस में लड़ने झगड़ने और मनुष्य जन्म के मूल्यवान समय को व्यर्थ करने की अपेक्षा जीचन को अच्छे कर्मों और नाम सुमिरण में लगाओं ताकि तुम्हारा लोक परलोक संवर जाएगा.
क्या वह आज तक किसी की बनी हैं, जो तुम लोगो की बन जाएगी. मनुष्य मेरी मेरी करके व्यर्थ यत्न करता हैं.
क्योंकि परीक्षा के बाद उन्हें सभी वस्तुएं उनकें मालिक को वापिस करनी थी.
ये कहानियाँ और उससे मिलने वाली सीख छोटे बच्चों को जरुर बताएं.
उसकी बात सुनकर राधे गुप्त का चेहरा प्रसन्नता से खिल उठा.
उन्होंने कहा- ”आप लोग भोजन करे, शर्त यह हैं कि कोहनी को मोड़े बिना भोजन करना हैं” यही बात उन्होंने देवताओं से भी कही.
वह हर बार अपनी सोंच में भरकर एक घास का तिनका लेके आती, उस वृक्ष की डाल पर उन्हें रखती और फिर वापिस चली जाती.
पाठशाला के रस्ते में घने पेड़ और झाड़ियाँ थी. पास ही एक जल का नाला बहता था.
एक महात्मा जी कही जा रहे थे. मार्ग में उन्होंने एक स्थान पर दो व्यक्तियों को ऊँची आवाज में बोलते हुए सुना. दोनों ही हाथों में लठ लिए हुए एक दूसरे के प्राण लेने को तैयार दिखाई दे रहे थे.
महात्मा जी ने लोहा गर्म देखकर चोट की और उन्हें समझाते हुए कहा- तनिक विचार करो कि जिस भूमि के लिए तुम लोग आपस में लड़ रहे हो,
जब वे सब वहां एकत्रित हुए तो उस समय यह मंत्रीराजा पलंग पर महल के विशाल एवं सज्जित कक्ष में लेटे हुए थे.